राजस्थान की संस्कृति है भारत की सबसे खूबसूरत संस्कृति1222

अभी तक हम लिथियम की महंगी विदेशी आपूर्ति पर निर्भर है. अब जीएसआई को डेगाना के आसपास लिथियम का बड़ा भंडार मिला है
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जयपुर: बेशकीमती खनिजों के भंडारों का पता चलने की कड़ी में मरुधरा के गर्भ में एक और बेशकीमती खनिज यानी लिथियम के भंडार पता चले हैं. खान मंत्री प्रमोद जैन भाया की माने तो नागौर के डेगाना में लिथियम के भंडार का पता चला है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण जीएसआई और खनन अधिकारियों का दावा है कि यहां मिले लिथियम भंडार की क्षमता हाल ही में जम्मू-कश्मीर में मिले लिथियम भंडार से अधिक है. खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बताया कि यहां इतना लिथियम है कि भारत की कुल मांग का 80 फीसदी यहीं से पूरा किया जा सकता है. लीथियम के लिए अभी तक भारत चीन पर निर्भर है. अब माना जा रहा है कि चीन का एकाधिकार खत्म होगा और खाड़ी देशों की तरह राजस्थान की अर्थव्यवस्था में नया बूस्ट आएगा. लिथियम एक अलौह धातु है, जिसका उपयोग मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है. अभी तक हम लिथियम की महंगी विदेशी आपूर्ति पर निर्भर है. अब जीएसआई को डेगाना के आसपास लिथियम का बड़ा भंडार मिला है.लिथियम के भंडार डेगाना और उसके आसपास के क्षेत्र की उसी रेनवेट पहाड़ी में पाए गए हैं, जहां से कभी टंगस्टन खनिज की आपूर्ति देश में की जाती थी. दरअसल अंग्रेजों ने डेगाना में रेनवाट की पहाड़ी पर वर्ष 1914 में टंगस्टन खनिज की खोज की. आजादी से पहले, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान यहां उत्पादित टंगस्टन का उपयोग ब्रिटिश सेना के लिए युद्ध सामग्री बनाने के लिए किया जाता था. आजादी के बाद देश में ऊर्जा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सर्जिकल उपकरण बनाने के क्षेत्र में भी इसका इस्तेमाल किया जाने लगा. खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि अब इस पहाड़ी से निकलने वाला लिथियम राजस्थान और देश का भाग्य बदलेगा. लिथियम दुनिया की सबसे हल्की धातु है, जिसकी जरूरत बैटरी से चलने वाले हर उपकरण को होती है. लिथियम दुनिया की सबसे नर्म और हल्की धातु भी है. लिथियम आज घर में हर चार्जेबल इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी से चलने वाले गैजेट में मौजूद है.इसी वजह से दुनिया भर में लिथियम की जबरदस्त डिमांड है. वैश्विक मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है. एक टन लीथियम की वैश्विक कीमत करीब 57.36 लाख रुपये है. पूरे विश्व में ऊर्जा परिवर्तन हो रहा है. हर देश ईंधन ऊर्जा से हरित ऊर्जा की ओर तेजी से बढ़ रहा है. एयरक्राफ्ट से लेकर विंड टर्बाइन, सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल, मोबाइल और घर में हर छोटे-बड़े चार्जेबल डिवाइस में लीथियम का इस्तेमाल बढ़ रहा है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम धातु की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होगी. इस दृष्टि से राजस्थान में लिथियम का अपार भण्डार प्राप्त होना न केवल प्रदेश के लिए अपितु देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यंत लाभदायक है. कुल 21 मिलियन टन का दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम भंडार वर्तमान में बोलिविया देश में है. इसके बाद अर्जेंटीना, चिली और अमेरिका में भी बड़े भंडार हैं.|